रेड क्रॉस की अंतर्राष्ट्रीय समिति (ICRC) और नेशनल मैरीटाइम फाउंडेशन (NMF) ने संयुक्त रूप से 5 अक्टूबर 2018 को नई दिल्ली में रक्षा अध्ययन और विश्लेषण संस्थान (IDSA) में ‘समुद्र में मानव सुरक्षा’ पर तीसरा सेमिनार आयोजित किया। भारतीय सशस्त्र बलों के सेवानिवृत्त और सेवारत अधिकारी और तकनीकी विशेषज्ञ समुद्र में अंतरराष्ट्रीय मानवतावादी कानून (IHL) के विभिन्न पहलुओं को प्रतिबिंबित करने के लिए एक साथ आए। पैनल में शामिल लोगों ने निष्कर्ष निकाला कि भले ही समुद्र क्षेत्रीय और वैश्विक शांति और स्थिरता को खतरे में डालते हैं, फिर भी इस विषय को इसका उचित महत्व नहीं दिया जाता है। समुद्री डकैती, सशस्त्र डकैती, प्रवासन, मानव तस्करी और मछुआरों से संबंधित सुरक्षा जैसे मुद्दे समुद्री पर्यावरण के लिए चुनौती हैं। इन चुनौतियों में से कुछ के लिए नौसेना और कोस्टगार्ड अक्सर पहले उत्तरदाता होते हैं और इसलिए, समुद्र में ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए एक मजबूत कानूनी ढांचे की आवश्यकता होती है।

सेमिनार में भारतीय नौसेना तथा भारतीय तटरक्षक दल के प्रतिभागी।

क्षेत्रीय प्रतिनिधिमंडल, आईसीआरसी के उप प्रमुख, यवेस हेलर ने कहा कि भले ही प्रवासन नया नहीं है, वैश्विक प्रवास हिंसा और युद्ध के कारण अभूतपूर्व आयामों तक पहुंच गया है और द्वितीय विश्व युद्ध के बाद उच्‍चतम स्‍तर पर है। चूंकि समुद्र द्वारा किया जाने वाला असुरक्षित मिश्रित प्रवासन शांति और सुरक्षा, आर्थिक और सामाजिक विकास, मानव अधिकारों, शरणार्थी अधिकारों, प्रवास, संगठित अपराध, समुद्र और समुद्री कानून के दायरे में आता है, इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि शामिल विभिन्न नीति-निर्माण निकाय और संगठन उनसे संबंधित अनिवार्यताओं और उनकी जिम्मेदारियों के बीच संबंधों के बारे में जागरूक रहें।

ICRC के रीजनल डेलिगेशन के उप प्रमुख यवेस हेलर, उद्घाटन भाषण देते हुए।

हेलर ने जोर देकर कहा कि ICRC एक मानवतावादी संगठन है जो युद्ध और हिंसा की अन्य स्थितियों के पीड़ितों की रक्षा और सहायता करना जारी रखेगा और उनके सम्मान और गरिमा को बचाए रखना चाहता है। उद्घाटन सत्र में अपने विचार व्‍यक्‍त करते हुए, नौसेना स्टॉफ के उप प्रमुख वाइस एडमिरल जी अशोक कुमार ने कहा कि भारतीय नौसेना समुद्र में मानव सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि तटीय समुदायों के साथ संपर्क बनाने के लिए बात-चीत शुरू हो चुकी है। वाइस एडमिरल कुमार ने इस तथ्य पर प्रकाश डाला कि भारतीय नौसेना पकड़े गए समुद्री लुटेरों को न्‍यायालय में पेश करते समय इन मानवतावादी कानून का अनुपालन करती है तथा उन समुद्री लुटेरों को उनके देश में वापस भेजने का प्रयास करती है। माइकल ओडर्स, सह-प्रबंधक (ऑस्ट्रेलिया), RSO, द बाली प्रोसेस ऑन पीपल स्मगलिंग, ट्रैफिकिंग इन पर्सन्स एंड रिलेटेड ट्रांसनेशनल क्राइम, ने अधिकारियों तथा तट रक्षकों की क्षमता निर्माण के बारे में बात की, जो कि तस्करी के पीड़ितों के अधिकारों की रक्षा करने के संदर्भ में थी। पैनल में शामिल लोगों ने मानव रहित समुद्री प्रणालियों और उन्‍मुक्‍त जहाजों के संदर्भ में उभरते मुद्दों पर भी चर्चा की, जिनकी स्वामित्व और कानूनी स्थिति स्पष्ट नहीं है, लेकिन जो वैश्विक शांति के लिए ख़तरा उत्‍पन्‍न करते हैं।

NMF के निदेशक सेवानिवृत्‍त वाइस एडमिरल प्रदीप चौहान समुद्री कानून का विवरण देते हुए।

NMF के निदेशक सेवानिवृत्‍त वाइस एडमिरल प्रदीप चौहान ने कहा, ‘IHL केवल वर्दी या देश के लिए नहीं बल्कि मानवता के लिए अंतर्भूत है। इसलिए, यह सेमिनार 6 बिलियन लोगों तक पहुंच रहा है। सेमिनार में अन्‍य प्रस्‍तुतियों में कमांडेंट सुरेश करूप, OIC, मैरिटाइम रेस्‍क्‍यू कोऑर्डिनेशन सेंटर मुम्‍बई की मैरिटाइम सर्च एंड रेस्‍क्‍यू तथा ह्यूमनिटेरयन एसिस्‍टेंस एंड डिजास्‍टर रिलीफ; कै. अश्विन अरविंद, इंडियन नेवी, डाइरेक्‍टर नवल ऑपरेशंस, इंटेग्रेटेड HQ, मिनिस्‍ट्री ऑफ डिफेंस (नेवी) की ‘पाइरेसी’; ब्रूनो डेमियेरे, लीगल एडवाइज़र, ICRC की ‘आर्म्‍ड कॉन्फ्लिक्‍ट्स’; तथा एस.के. वर्गीस, सीनियर फेलो, NMF की ‘सेफ्टी ऑफ सीफैरर्स शामिल थीं।