जबकि चल रहे सशस्त्र संघर्षों और अंतर्राष्ट्रीय मानवीय विधि की प्रयोजनीयता पर विभिन्न वैश्विक मंचों पर विस्तार से चर्चा की जा रही है, वहीं कुछ लोग महसूस करते हैं कि 21वीं सदी की समुद्री सुरक्षा और इसको नियंत्रित करनेवाला कानूनी ढांचा, एक ऐसा विषय है जो कि पर्याप्त रूप से सम्बोधित नहीं किया गया।

ऐसा इसलिए है क्योंकि इस कार्य क्षेत्र की चुनौतियां दिन प्रतिदिन ज्यादा स्पष्टता प्राप्त कर रही हैं — जहाँ लाखों लोग शान्ति, सुरक्षा और अच्छे जीवन की खोज में समुद्री सीमाओं को पार कर रहे हैं।

समुद्री कार्य क्षेत्र के  सुरक्षा के मुद्दों को सम्बोधित करने के लिए नेशनल मेरीटाइम फाउंडेशन (एन एम ऍफ़) और आई सी आर सी द्वारा एक क्षेत्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया। “समुद्री सुरक्षा एवं आई एच एल में समकालीन चुनौतियाँ : दक्षिण एशिया से परिप्रेक्ष्य,” विषय पर आधारित यह सेमिनार भारत, मालदीव, श्री लंका तथा बांग्लादेश के नौसेना और तटरक्षक सेवाओं के सेवारत अधिकारियों को एक साथ लाया।

२७ मई २०१६ को यूनाइटेड सर्विस इंस्टीटयूशन (यू इस आई ), नई दिल्ली में आयोजित यह सेमिनार भारतीय तटरक्षक बल के महानिदेशक श्री राजेंद्र सिंह का प्रमुख व्याख्यान तथा आई सी आर सी, नई दिल्ली के प्रतिनिधिमंडल की प्रधान श्रीमती मैरी वांटज द्वारा बताई गयी प्रमुख बातों को चित्रित करता है। तत्पश्चात विशिष्ट पैनलिस्टों के व्याख्यान थे जिनमे गुजरात नेशनल लॉ विश्वविद्यालय के निदेशक डॉ बिमल पटेल, नेशनल मेरीटाइम फाउंडेशन के कार्यकारी निदेशक कप्तान डॉ गुरप्रीत खुराना, नेशनल सिक्योरिटी कॉउन्सिल सेक्रेटेरिएट, डॉ सुनील कुमार अग्रवाल, आई सी आर सी के डॉ जान एकडोगन, सेंटर फॉर लैंड वारफेयर स्टडीज की डॉ मोनिका चनसोर्य और नेशनल मेरीटाइम फाउंडेशन के डॉ विजय सखूजा भी शामिल थे। 

निम्न तस्वीरें सेमिनार में उपस्थित मुख्य पेशकर्ताओं और प्रतिभागियों को दर्शाती हैं (@आई सी आर सी दलजीत सिंह)