इंटरनेशनल कमेटी ऑफ़ दी रेड क्रॉस (आई सी आर सी ) एवं प्रेस इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया (पी आई आई) के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित 11वें वार्षिक उत्कृष्ट पत्रकारिता पुरस्कार समारोह में तिरुवनंतपुरम के मलयाला मनोरमा के चीफ रिपोर्टर महेश गुप्थन को उनके लेख “दे आर आल्सो आवर पैट चिल्ड्रेन” के लिए प्रथम पुरस्कार से सम्मानित किया गया । फोटोग्राफी वर्ग में पहला पुरस्कार जयपुर के हिन्दुस्तान टाइम्स में चीफ फोटोग्राफर पद पर कार्यरत हिमांशु व्यास ने जीता, उनका फोटो निबंध राष्ट्रीय त्रिकोणीय व्हील चेयर टी-20 क्रिकेट सीरीज पर आधारित था ।

इस वर्ष की थीम “लिविंग विथ डिसएबिलिटी – ट्रायम्फस एंड चैलेंजेस’’ थी. हिंदी में कहा जाए तो “अपंगता के साथ जीवन- सफलता और चुनौतियां”. सर्वश्रेष्ठ लेख केटेगरी में “लाइफ ऑन व्हील्स” लेख के लिए केरल के मल्लापुरम के मलयाला मनोरमा ऑफिस में कार्यरत चीफ सब एडीटर टी. अजीश को दूसरा पुरस्कार हासिल हुआ । इसी वर्ग में तीसरा पुरस्कार अपने आर्टिकल “केयर टू केयर?” के लिए मिनी थॉमस ने जीता, वो बेंगलुरु की ‘द वीक’ मैगज़ीन में विशेष संवाददाता हैं ।

फोटोग्राफी वर्ग में पहला पुरस्कार जयपुर के हिन्दुस्तान टाइम्स में चीफ फोटोग्राफर पद पर कार्यरत हिमांशु व्यास ने जीता |

 

हिन्दुस्तान टाइम्स के स्पेशल फोटोजर्नलिस्ट राज के. राज ने अपने फोटो निबंध “मीट इंडिया गेट्स चार्ली मामा” के लिए दूसरा पुरस्कार जीता । इसी श्रेणी का तीसरा पुरस्कार भी हिंदुस्तान टाइम्स के फोटोजर्नलिस्ट कुणाल पी. पाटिल को अपने फोटो निबंध “लॉस्ट हैंड्स, नॉट ड्रीम्स: इंडियाज़ पैरास्विमर हेडिंग टू रियो ओलिंपिक्स” के लिया मिला ।

स्वागता यदवार और प्राची साल्वे को उनके तीन भागों में प्रकाशित लेख “व्हाई 12.1 मिलियन इंडियन्स विथ स्पेशल नीड्स आर इल्लीट्रेट” के लिए एक स्पेशल अवार्ड दिया गया , यह लेख इंडियास्पेंड वेबसाइट में प्रकाशित हुआ था । इस वर्ष पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन चेन्नई में किया गया । इस समारोह का पुरस्कार वितरण विशेष आमंत्रित अतिथि डॉक्टर संतोष बाबू के करकमलो से हुआ, डॉक्टर संतोष तमिलनाडु हैंडीक्राफ्टस कारपोरेशन लिमिटेड के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक हैं और इस समय मुख्यमंत्री स्पेशल सेल में ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी के तौर पर भी काम संभाल रहे हैं ।

इस बार की जूरी के सदस्यों में वरिष्ठ पत्रकार और कॉलमनिस्ट श्री कमलेन्द्र कँवर, श्री एस. आर. मधु और डॉक्टर जया श्रीधर शामिल थे. श्री कमलेन्द्र कँवर द ट्रिब्यून, द इंडियन एक्सप्रेस और टाइम्स ऑफ़ इंडिया (अहमदाबाद संस्करण) में संपादक रहे हैं । श्री एस. आर. मधु भूतपूर्व पत्रकार रहे हैं और अब लेखक-संपादक के तौर पर काम करते हैं । डॉक्टर जया श्रीधर ‘फ्रंटलाइन’ की विशेष संवाददाता रही हैं और अब एशियन कॉलेज ऑफ़ जर्नलिज्म की फैकल्टी में भी पढ़ाती हैं ।

डॉक्टर संतोष बाबू ने विकलांगता से जुड़े मुद्दों पर मीडिया के उपेक्षापूर्ण रवैये पर गहरा असंतोष ज़ाहिर किया,उन्होंने कहा कि “रिपोर्टिंग में काफी नकारात्मकता झलकती है, मीडिया को इस क्षेत्र में उल्लेखनीय काम कर रहे संस्थानों और व्यक्तिगत उपलब्धियों को सामने लाने में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए और इनके द्वारा किए जा रहे कार्यों को मिसाल की तरह पेश करना चाहिए.” इससे लोगों में जागरूकता भी बढ़ेगी और इस क्षेत्र में काम करने की प्रेरणा भी मिलेगी ।

श्री कमलेन्द्र कँवर ने अपने वक्तव्य में इस बात पर जोर दिया कि विकलांगों के लिए नीतियाँ बनाते समय दो बातों का ख़ास ख्याल रखा जाना चाहिए. शिक्षा और अवसर, श्री कमलेन्द्र का कहना था कि “विकलांगों में भी अपार क्षमता वाले गुण मौजूद होते हैं, उन्हें सिर्फ किस्मत के सहारे जीने वाला व्यक्ति समझना गलत दृष्टिकोण है”।

श्री एस. आर. मधु ने इस बात पर बल दिया कि “मीडिया विकलांगों की समस्याओं और उपलब्धियों पर विशेष ध्यान दे कर बेहतर कवरेज उपलब्ध करा सकती है । इसके अलावा मीडिया इस दिशा में सरकारों, कॉर्पोरेट कंपनियों और गैर सरकारी संस्थानों द्वारा किए जा रहे काम और प्रयासों पर भी जोर देकर महत्वपूर्ण योगदान दे सकती है।” श्री मधु ने बताया कि इस बार आई प्रविष्टियों में विकलांगों द्वारा प्रदर्शित किए गए दृढ़ संकल्प और साहस को काफी प्रभावपूर्ण तरीके से पेश किया गया है, इस तरह की कवरेज से यह धारणा टूटेगी कि विकलांग सिर्फ हमारी सहानुभूति ही चाहते हैं ।

डॉक्टर जया श्रीधर का मानना है कि मीडिया सक्षम के बजाय अक्षम भूमिका निभा रही है, विकलांगता या अक्षमता उनके रवैये में जाहिर होती है । जया श्रीधर ने कई महत्वपूर्ण सवाल उठाए, उन्होंने कहा कि “हम खुद जाकर स्टोरी नहीं ढूँढ़ते बल्कि उनके आने का इंतज़ार करते हैं, इस विषय पर रिपोर्टिंग करने में आंकड़ों और डाटा का अभाव भी एक बड़ी समस्या है” । उन्होंने इस बात पर दुःख और चिंता जताई कि “कहीं मीडिया जानबूझ कर तो इस विषय पर रिपोर्टिंग की अनदेखी नहीं करता, इन ख़बरों को दिखाने से परहेज क्यों किया जाता है। क्यों हम इनकी रिपोर्टिंग पर ध्यान नहीं देते”।

जया श्रीधर ने मीडिया की भूमिका पर कई महत्वपूर्ण सवाल उठाए |

इंटरनेशनल कमिटी ऑफ़ दी रेड क्रॉस के नई दिल्ली रीजनल डेलिगेशन के प्रमुख जेरेमी इंग्लैंड ने विकलांगों पर लिखे जाने वाले लेखों की भाषा पर पूछे एक सवाल के जवाब में कहा कि “भाषाएँ लोगों को बाँट देती हैं, यह बंटवारा काफी नुकसानदेह और पीड़ादायक होता है। दुनिया के किसी भी हिस्से में इस विषय पर लिखे जाने वाले लेखों में जिस भाषा का इस्तेमाल होता है,उसमें काफी सुधार और संवेदनशीलता की ज़रूरत है”। जेरेमी ने अब तक इस पर जाहिर हो रहे उपेक्षापूर्ण रवैये पर अपनी चिंता लोगों से साझा की ।

इस वार्षिक अवार्ड का गठन इंटरनेशनल कमेटी ऑफ़ दी रेड क्रॉस और प्रेस इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया के संयुक्त के संयुक्त तत्वाधान की गई है । इस अवार्ड के गठन का प्रमुख उद्देश्य ‘मानवीय रिपोर्टिंग’ के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम कर रहे पत्रकारों को प्रोत्साहन और उनके प्रयासों को उजागर कर उसकी सराहना करने है । इस अवार्ड के लिए केवल उन्ही प्रविष्टियों पर विचार किया जाता है, जिनमें प्राकृतिक आपदा और हिंसा के दौरान लोगों द्वारा जाहिर किया गया असाधारण जुझारुपन या मानवीय पीड़ा उजागर होती हो ।

11वें वार्षिक उत्कृष्ट पत्रकारिता पुरस्कार समारोह से कुछ चित्र प्रस्तुत है: