24 जनवरी को दिल्ली महानगरीय शिक्षा (डीएमई) से आए, 30 से अधिक स्नातक छात्रों के दौरे ने आईसीआरसी के क्षेत्रीय प्रतिनिधिदल में एक भूचाल सा ला दिया। सामान्यतः संसाधन केन्द्र को, अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून (आईएचएल) के विभिन्न पहलुओं पर काम करने वाले शोधार्थियों के लिए, एक शांत चिंतन स्थल के रूप में माना जाता है, लेकिन वृहस्पतिवार को यह स्थान, उत्सुक और जिज्ञासु चेहरों से भरा हुआ था। दिल्ली हाउस में आईसीआरसी के संसाधन केन्द्र में, भारत में अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून (आईएचएल) की पुस्तकों तथा आईसीआरसी के प्रकाशनों का सबसे बेहतरीन संग्रह है। संसूचना विभाग ने छात्रों के लिए, आईसीआरसी की भूमिका तथा इसके शासनादेश पर एक सत्र बुलाया। यह सत्र उन्हें, रेड क्रॉस और रेड क्रीसेंट (आरसीआरसी) मूवमेंट के सात सिद्धांतों से परिचित कराने और आपातकाल के दौरान जरुरतमंदों की सहायता के लक्ष्य वाली, आईसीआरसी की गतिविधियों के विस्तार के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करने पर केन्द्रित था। इसका और अधिक विस्तार से वर्णन, आईसीआरसी के दो लघु फिल्मों, “स्टोरी ऑफ एन आइडिया” तथा “पैनोरमा” की सहायता से किया गया। प्रश्नोत्तर सत्र के दौरान, छात्रों ने रेडक्रॉस के प्रतीक चिह्न की सार्वभौमिक स्वीकार्यता और एक तटस्थ संगठन होने के कारण, इससे जुड़े खतरों के बारे में पूछताछ की। सत्र में छात्र, दुनिया भर के रेड क्रॉस सहयोगियों के उपाख्यान से भी लाभान्वित हुए। यह आईसीआरसी तथा डीएमई के बीच का दूसरा परिचय था। 2017 में, क्षेत्रीय प्रतिनिधिदल ने संस्थान को, आईएचएल मानक का एक पुस्तकालय दानस्वरूप में दिया। आईसीआरसी के लिए, शैक्षणिक संस्थानों के साथ साझेदारी इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह रेड क्रॉस मूवमेंट के प्रति एक समझ और सम्मान की भावना प्रोत्साहित करने का प्रयास करता है। शांति के समय ऐसी साझेदारियाँ, आईसीआरसी को अधिवक्ताओं, मानवीय कार्यकर्ताओं, राजनायिकों तथा प्रभावित करने वाले अन्य व्यक्तियों की, अगली पीढ़ी तक पहुँचने का एक अवसर मुहैया कराती हैं।