शर्मीला त्रिपाठी ने जब अपने पति, ज्ञानेंद्र की तलाश शुरू की थी, तब से 15 वर्ष का लंबा समय बीत चुका है। वे नेपाल के घरेलू सशस्‍त्र संघर्ष के दौरान लापता हो गए थे और वे उन 1,333 लोगों में से एक हैं जिनके बारे में आज तक कोई जानकारी नहीं है। शर्मीला कहती हैं, ‘गुजरते हुए दिनों के साथ हम कोई छोटे से बड़े नहीं हो रहे हैं। वह दिन अब अधिक दूर नहीं है जब हम लंबी दूरी तय करने में असमर्थ होंगे।’ वे आगे कहती हैं, ‘हमारी तलाश कब पूरी होगी? हमें हमारे प्रश्‍नों के उत्‍तर कब मिलेंगे?’ लापता लोगों के परिवार अथाह पीड़ा में हैं – दिन-ब-दिन बूढ़े हो रहे माता-पिता अपने बच्‍चों के वापस लौटने की प्रार्थना कर रहे हैं – पत्नियां अपने पति को फिर से देख पाने की उम्‍मीद के साथ जी रही हैं और बच्‍चे अपने पिता की वापसी के इन्‍तजार में बड़े हो रहे हैं। लापता हुए लोगों की याद में मनाए जाने वाले इंटरनेशनल डे ऑफ डिसअपियर्ड के अवसर पर इंटरनेशनल कमेटी ऑफ रेड क्रॉस (ICRC), नेपाल रेड क्रॉस सोसाइटी (NRCS) और नेशनल नेटवर्क ऑफ फैमिलीज़ ऑफ डिसअपियर्ड एंड मिसिंग नेपाल (NEFAD) द्वारा लापता लोगों की याद में 29 अगस्‍त, 2018 को काठमांडू में आयोजित कार्यक्रम में लापता लोगों के लगभग 80 परिवार एक साथ एकत्र हुए। इस अवसर पर ‘मिसिंग पर्सन्‍स इन नेपाल: अपडेटेड लिस्‍ट 2018‘ – ICRC और NRCS का संयुक्‍त प्रकाशन – का विमोचन किया गया। एक दशक तक चलने वाले घरेलू सशस्‍त्र संघर्ष की समाप्ति के 12 वर्ष के बाद भी इस लिस्‍ट में 1,333 ऐसे लोगों के नाम शामिल हैं जो कि आज तक लापता हैं। इस अवसर पर एड क्रिउ ड्रामा ग्रुप ने ‘दि वेटिंग आर्इज़’ शीर्षक वाला एक प्रभावशाली नाटक का मंचन किया जो कि इतना संदग्धिता और व्‍यग्रता से भरा था कि इसने परिवारों के अपने अनुभवों को जीवंत कर दिया। वहां एकत्र लोगों को कमीशन ऑफ इन्‍वेस्‍टीगेशन ऑन एन्‍फोर्स्‍ड डिसअपियर्ड पर्सन्स (CIEDP) के अध्‍यक्ष लोकेन्‍द्र मलिक, NEFAD के अध्‍यक्ष राम कुमार भंडारी, NRCS के महासचिव देव रत्‍न ढखवा तथा काठमांडू में ICRC मिशन के प्रमुख आन्‍द्रे पैक्‍वेट ने संबोधित किया।

(बाएं से दाएं) देव रत्‍न ढखवा – NRCS के महासचिव, लोकेन्‍द्र मलिक – CIEDP के अध्‍यक्ष, आन्‍द्रे पैक्‍वेट-काठमांडू में ICRC मिशन के प्रमुख तथा राम कुमार भंडारी – NEFAD के अध्‍यक्ष, ‘मिसिंग पर्सन्‍स ऑफ नेपाल: अपडेटेड लिस्‍ट 2018’ का विमोचन करते हुए।

उस कार्यक्रम के अवसर पर लापता लोगों के परिवार के सदस्‍यों द्वारा चिंता, संदेह, क्रोध तथा कुंठा का प्रदर्शन किया गया। कार्यक्रम में लापता लोगों के परिवारों के सदस्‍यों के लिए क्षतिपूर्ति, छात्रवृत्ति तथा रोजगार के अवसरों से जुड़े सवाल जोरदार ढंग से उठाए गए। लापता लोगों के परिवारों के सदस्‍यों ने CIEDP के प्रति अपनी निराश भी प्रकट की। CIEDP के अध्‍यक्ष, लोकेन्‍द्र मलिक ने उनके सवालों का जवाब देते हुए कहा, ‘जब तक बलपूर्वक लापता किए गए लोगों के लिए ऐसा कानून नहीं बनता है जो ऐसा करने वालों को अपराधी ठहरा सके, तब तक आयोग ऐसे मामलों में शामिल लोगों के विरुद्ध किसी समुचित कार्यवाही की संस्‍तुति करने में अक्षम है।’ उन्‍होंने लापता लोगों के परिवारों के लिए कार्य करने की आयोग की प्रतिबद्धता दोहराते हुए आगे कहा, ‘मैं सरकार से ऐसा हितकारी माहौल बनाने का अनुरोध करता हूं जो हमारे आयोग को अपनी प्रतिष्‍ठा के साथ कार्य करने में सक्षम बना सके।’ इस कार्यक्रम के अवसर पर, काठमांडू में ICRC मिशन के अध्‍यक्ष ने लापता लोगों के परिवारों के साथ पारस्‍परिकता का भाव प्रदर्शित करते हुए नेपाल में संक्रमण काल की न्‍याय प्रक्रिया के व्‍यापक संवरण की आशा व्‍यक्‍त की। उन्‍होंने कहा, ‘अंतर्राष्‍ट्रीय मानवतावादी कानून मांग करते हैं कि अधिकारी लापता लोगों के लिए सभी व्‍यावहारिक उपाय करें। उस संदर्भ में, राज्‍य उन परिवारों के उनके प्रियजनों से जुड़े प्रश्‍नों के ज़वाबों सहित उन्‍हें यथा संभव सब कुछ प्रदान करने के लिए अपने नैतिक दायित्‍वों का निर्वहन करें।’

निम्‍न फोटो कार्यक्रम में सजीव संवाद के परिचायक हैं। (©ICRC)