जेरेमी इंग्लैंड, क्षेत्रीय प्रतिनिधिदल के प्रधान, नई दिल्ली, ने 14-17 जनवरी 2019 को भूटान गए दल का नेतृत्व किया। यदि शुरुआत का असर आने वाले दिनों पर पड़ता है, तो 2019 में आईसीआरसी से भूटान का जुड़ना, निश्चित रूप से फलदायी होगा। इस मिशन का लक्ष्य था, भूटान तथा अन्य देशों में आईसीआरसी के कार्यों और भूटान रेड क्रॉस सोसायटी (बीआरसीएस) के साथ, इसके संबंधों के बारे में नए राजनीतिक नेतृत्व को संक्षेप में बताना। वर्षों से आईसीआरसी, आपदा के समय मृतकों के प्रबंधन, प्राथमिक सहायता, स्वास्थ्य से जुड़े आपातकालों से संबंधित क्षमता-निर्माण प्रशिक्षण देने और भूटानी शांति सेना के साथ आईएचएल को बढ़ावा देने का कार्य कर रहा है। प्रधानमंत्री एच ई ल्योनचेन डीआर लोटे शेरिंग, विदेश मंत्री, स्वास्थ्य मंत्री, गृह मंत्री, भूटान के मुख्य न्यायाधीश सहित न्यायपालिका के अन्य सदस्यों के साथ बैठकों के दौरान, भूटानी प्राधिकारियों ने आईसीआरसी की पिछली संस्तुतियों के माध्यम से हिरासत में रखने और जेल प्रणाली में हुए सुधारों की स्वीकृति प्रदान की। आईसीआरसी के धार्मिक तथा आईएचएल के कार्यक्रमों को जारी रखते हुए, आईसीआरसी ने देश के बौद्ध नेताओं के साथ भी कार्य करने का प्रस्ताव दिया, जिसकी काफी प्रशंसा हुई। दल ने प्राधिकारियों को यह आश्वस्त किया कि यह बीआरसीएस को मजबूती प्रदान करने और उसे सहायता प्रदान करने के लिए संकल्पित है। भूटान, रेड क्रॉस एंड रेड क्रीसेंट (आरसीआरसी) मूवमेंट का नया सदस्य बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा, है लेकिन आईसीआरसी से इसका जुड़ाव इसे प्रथम विश्व युद्ध के समय की याद दिलाता है, जब हिज मेजेस्टी, द फर्स्ट किंग गोंगसर उगेन वांगचुक ने संगठन को 200,000 एनयू का योगदान किया था। दशकों के दौरान, भूटान जैसे देशों की उदारता ने, आरसीआरसी आंदोलन की आत्मा को एक मजबूती प्रदान की है और सबसे बढ़कर कि मानवीय कार्यों की माँग है जोरदार उत्साह।