इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी दिल्ली (आईआईटी डी) तथा रेडक्रॉस की अंतर्राष्ट्रीय समिति (आईसीआरसी) ने नई दिल्ली में “मानवीय नीति और तकनीक के प्लेटफार्म” का उद्घाटन किया। इस मंच का उद्देश्य है, मानवीय कार्यवाहियों के लिए नई तकनीकों पर शोध और परिचर्चा तथा अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून (आईएचएल) के तहत् युद्ध के नए तकनीकों के अनुपालन को उत्पन्न करना और उन्हें बढ़ावा देना। यह तकनीक और मानवता के बीच टकराव के दो मूलभूत क्षेत्रों के लिए समाधान देता है: मानवीय कार्यवाहियों की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए नवीनतम तकनीकों को अपनाना और आईएचएल परिधि में रहते हुए युद्ध के नए तकनीकों का निहितार्थ। उद्घाटन सत्र में बोलते हुए, जिल  कार्बोनियर, उपाध्यक्ष, आईसीआरसी ने कहा: “आईसीआरसी, आईआईटी डी जैसे संस्थान के साथ साझेदारी को लेकर काफी उत्साहित है, जिसे संपूर्ण विश्व में वैज्ञानिक उत्कृष्टता के लिए जाना जाता है। हमारा विश्वास है कि मानवीय नीति और तकनीक का यह प्लेटफार्म, आईआईटी, आईसीआरसी के विशेषज्ञों तथा संपूर्ण एशिया और अन्य हिस्सों के विभिन्न हितधारकों को एक साथ लाएगा, ताकि न केवल युद्ध के नए तकनीकों पर आई.एच.एल. के प्रवर्तन पर हो रही वैश्विक परिचर्चाओं से मुखर हो रहे मानवीय हितों का समाधान हो, अपितु बेहतर मानवीय कार्यवाही के लिए नई तकनीकों से लाभ की असीम संभावनाओं का भी लाभ उठाया जा सके।“ आईआईटी और आईसीआरसी के बीच के सहयोग के बारे में, अपने विचार व्यक्त करते हुए प्रोफेसर वी रामगोपाल राव, निदेशक, आईआईटी दिल्ली ने कहा: “आईआईटी दिल्ली, मानवीय नीति और तकनीक के इस प्लेटफार्म को विकसित करने में, आईसीआरसी के साथ हाथ मिलाकर बहुत ही गौरवान्वित और उत्साहित है, जो मानवीय क्रियाकलापों को सहारा देने के आईसीआरसी के लंबे इतिहास और उनके अद्वितीय कौशल्य तथा तकनीक में आईआईटी दिल्ली की गहरी विशेषज्ञता और आम लोगों की नीतियों के प्रति केन्द्रित उसके फोकस, दोनो को एक साथ लेकर आएगा। हमारा विश्वास है कि यह प्लेटफार्म, तेजी से हो रहे तकनीकी विकास के इस युग में, मानवीय कार्यवाहियों की चुनौतियों और उसके अवसरों का समाधान करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। मेरा विश्वास है कि ये दोनो संस्थान मिलकर ज्ञान और समाधानों को विकसित करने का कार्य कर सकते हैं जिससे एशिया के क्षेत्रों में और उससे इतर भी मानवीय मूल्यों को सतत् रूप से बढ़ावा मिलेगा।“ इस अवसर पर, समारोह के एक कार्यक्रम के रूप में कृत्रिम खुफिया जानकारी, स्वशासी हथियारों तथा सशस्त्र संघर्ष के कानूनी, तकनीकी और नीतिगत पहलुओं पर एक पैनल परिचर्चा का भी आयोजन किया गया। विशेषज्ञों ने मानवीय तकनीक के क्षेत्र में हुए उन विकासों के बारे में बताया, जिसने आपदाओं और सशस्त्र संघर्ष के समय में मानवीय कार्यवाहियों की गुणवत्ता में काफी सुधार किया है और यह भी बताया कि आई.एच.एल. के तहत् युद्ध के नवीन तकनीकों का क्या प्रभाव पड़ा है। इस परिचर्चा में, भारत के रक्षा मंत्रालय, विदेश मंत्रालय; सेंटर फॉर इंटरनेशनल लॉ, मिनिस्ट्री ऑफ फॉरेन अफेयर्स, साउथ कोरिया; यूएन इंस्टीच्यूट फॉर डिसार्मामेंट रिसर्च, जेनेवा; यूनीवर्सिटी ऑफ टोकियो; आईसीआरसी जेनेवा; आईआईटी दिल्ली; येल यूनीवर्सिटी तथा इंस्टीच्यूट ऑफ डिफेंस स्टडीज एंड एनालाइजेज के प्रतिनिधि शामिल हुए। संपादकों के लिए टिप्पणी: आईआईटी दिल्ली के बारे में: आईआईटी दिल्ली,  बहुआयामी तकनीकी और शैक्षणिक कौशल्य के साथ विज्ञान तथा इंजीनियरी में उत्कृष्टता वाला एक प्रसिद्ध संस्थान है, जिसमें जन-नीतियों का एक स्कूल भी स्थापित किया गया है, ताकि तकनीक और नीति से जुड़े मुद्दों पर सामंजस्य स्थापित किया जा सके। आईसीआरसी के बारे में: आईसीआरसी एक स्वतंत्र और गैर-राजनीतिक संगठन है, जो पूरी सख्ती से मानवीय गतिविधियों की पूरी गुंजाइश के साथ, विश्व के 80 से भी अधिक देशों में अपनी उपस्थिति के बल पर, कार्य कर रहा है। इसे आईएचएल को बढ़ावा देने के उत्तरदायित्व के कारण और किसी विशेष सशस्त्र संघर्ष या हिंसा के मामले में, मानवीय गतिविधियों की विषम परिस्थितियों से प्रभावित लोगों की जरुरतों पर प्रतिक्रिया देने के कारण, एक सार्वभौमिक पहचान मिली है। अधिक जानकारी के लिए : कृपया Deepti Soni, आईसीआरसी पर ईमेल करें या +91-9810312913 पर फोन करें या Shiv Prakash Yadav, आईआईटी डी पर ईमेल करें या+91-11-26591729; +91-9899127095 पर फोन करें।