आई सी आर सी (ICRC) और रक्षा अध्‍ययन एवं विश्‍लेषण संस्‍थान (IDSA) ने 11 सितंबर 2018 को नई दिल्‍ली में संयुक्‍त रूप से पैनल चर्चा का आयोजन किया जिसका उद्देश्‍य साइबर युद्ध से जुड़ी मानवीय जटिलताओं की समझ विकसित करना था। पैनल ने ‘साइबर युद्ध के मानवीय मूल्‍य’ विषय को संबोधित किया, वहीं अधिवक्‍ताओं और तकनीकी विशेषज्ञों ने एक साथ कंप्यूटर नेटवर्क के हमलों के तहत अंतर्राष्ट्रीय मानवतावादी कानून (आईएचएल) के अनुप्रयोग के संदर्भ में विचार-विमर्श किया। जिनेवा कन्वेंशनों या उनके अतिरिक्त प्रोटोकॉल में साइबर युद्ध या कंप्यूटर नेटवर्क हमलों का कोई विशिष्ट उल्लेख नहीं है। हालांकि, युद्ध के साधनों और तरीकों को नियंत्रित करने वाली इन संधियों में सिद्धांत और नियम केवल उन स्थितियों तक ही सीमित नहीं हैं, जो उनके अनुपालन के समय मौजूद थे। IHL ने हथियारों की तकनीक और युद्ध के नए साधनों और युद्ध के तरीकों के विकास के विषय में स्पष्ट रूप से अनुमानित किया था। चूंकि सशस्त्र युद्ध में साइबर युद्ध या कंप्यूटर नेटवर्क के हमले का विचार बहुत नया है, इसलिए विचार-विमर्श में यह देखने की कोशिश की गई कि आईएचएल के अनुसार किस तरह के शत्रुतापूर्ण साइबर संचालन ‘हमलों’ की श्रेणी में आते हैं। आई सी आर सी की विधिक सलाहकार, सुप्रिया राव ने हाल ही में कथित साइबर संचालन के कुछ उदाहरणों का हवाला दिया और बताया कि साइबर स्पेस की सैन्य क्षमता अभी शुरुआती चरण में है। यदि सशस्त्र संघर्ष के दौरान इस तरह के साइबर ऑपरेशन किए जाते हैं, तो इसके परिवहन प्रणाली, बिजली नेटवर्क, बांधों और रासायनिक या परमाणु संयंत्रों के विरुद्ध साइबर हमलों के रूप में नागरिक आबादी पर व्यापक मानवीय परिणाम हो सकते हैं। उन्‍होंने कहा कि हम इन परिदृश्यों को रोकने के लिए इंतजार नहीं कर सकते हैं और हमें IHL द्वारा पहले से लागू की गई सीमाओं के आधार पर व्यावहारिक कदम उठाने की जरूरत है। IDSA के वरिष्‍ठ फेलो ब्रिगेडियर आशीष छिब्‍बर ने ‘सशस्‍त्र संघर्ष के दौरान साइबर ऑपरेशन: वर्तमान सैन्‍य सिद्धांत तथा भविष्‍य के विकास’ के विषय में अपने विचार व्‍यक्‍त किए। उन्‍होंने कहा, ‘साइबरस्‍पेस नया एक्‍शन ज़ोन है; इस क्षेत्र में मनोवैज्ञानिक युद्ध तथा धोखे के अभियान चल रहे हैं और आधुनिक साइबरस्‍पेस टेक्‍नोलॉजी नए रणनीतिक हथियारों की तरह इस्‍तेमाल किए जा रहे हैं। चर्चा के अन्‍य विषयों में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्‍थान के डॉ. मनमोहन चतुर्वेदी द्वारा ‘आवश्यक सेवाओं और अवसंरचना के विरुद्ध साइबर हमलों के विकास और भविष्य के परिप्रेक्ष्‍य’, आई सी आर सी के डॉ. उमेश कदम द्वारा ‘साइ‍बर ऑपरेशन, हमले तथा युद्ध; अर्थ तथा व्‍यापकता’ शामिल किए गए। सत्र के बाद की बातचीत सिविल इन्फ्रास्ट्रक्चर पर साइबर हमलों की अधिकता की संभावना के आसपास घूमती है, जब अस्पताल सैन्य प्रतिष्ठानों के आस-पास होते हैं और सटीक-निर्देशित युद्ध के भविष्य के साथ-साथ भारी तबाही की शुरुआत से पहले साइबर युद्ध से संबंधित कानूनों की आवश्यकता होती है।