दुनिया के पहले अंतर्राष्ट्रीय मानवतावादी फॉरेंसिक केंद्र (आईसीएचएफ) का उद्घाटन 20 जून, 2018 को गुजरात में किया गया। यह इंटरनेशनल कमेटी ऑफ द रेड क्रॉस (आईसीआरसी) और गुजरात फॉरेंसिक साइंस विश्वविद्यालय (जीएफएसयू)  का एक संयुक्त उपक्रम है। इसे आईसीआरसी के भारत, नेपाल, भूटान और मालदीव के क्षेत्रीय मंडल के साथ मिलकर खोला गया है।

अंतर्राष्ट्रीय मानवतावादी फॉरेंसिक केंद्र द्वारा संस्थागत तौर पर मानवतावादी फॉरेंसिक क्षेत्र को किसी मौजूदा विश्वविद्यालय ढांचे के साथ जोड़ने का यह पहला ठोस प्रयास है। यह केंद्र मानवतावादी फॉरेंसिक के क्षेत्र में विभिन्न शैक्षणिक और पेशेवर गतिविधियों का आयोजन करेगा। इसके अलावा यह  मानवतावादी फॉरेंसिक के क्षेत्र में चलाए जाने वाले अभियानों के मद्देनजर विभिन्न तरह का प्रशिक्षण, शोध और तकनीकी विशेषज्ञता उपलब्ध कराने में भी मदद करेगा। यह केंद्र इन कार्यक्रमों को मानवतावादी फॉरेंसिक के क्षेत्र में काम कर रहे संबंधित अधिकृत संगठनों, अधिकारियों और एजेंसियों के साथ मिल कर चलाएगा।

यह विश्व स्तर की उच्च सेवाएं देने वाला एशिया का एक ऐसा उत्कृष्ट केंद्र होगा जो जरूरत के वक्त में पूरे देश और दुनिया की मानवतावादी आवश्यकताओं की पूर्ति करेगा। गौरतलब है कि मानवतावादी सेवाओं के लिए फॉरेंसिक साइंस का उपयोग करने वाला अपनी तरह का यह एकमात्र अनूठा केंद्र विश्व स्तर की सभी सेवाएं बेहतरीन रूप में एक ही स्थान पर उपलब्ध कराने के उद्देश्य से ही परिकल्पित किया गया है।

यह केंद्र मानवतावादी फॉरेंसिक को उन देशों और परिस्थितियों के अनुकूल तत्काल की जा सकने वाली कार्यवाही, प्रतिक्रिया तथा उठाए जा सकने वाले क़दमों से परिचित कराएगा। मानवतावादी फॉरेंसिक के क्षेत्र में शोध और अनुसंधान मुहैया कराने के अलावा यह केंद्र नई और मौलिक सोच वाली परियोजनाओं पर भी काम करेगा ताकि ना केवल क्षमता का विकास किया जा सके बल्कि उसे स्थायित्व भी प्रदान किया जा सके।

उद्घाटन के अवसर पर गुजरात सरकार के गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री एम एस डागर ने कहा कि “नए विचारों को लागू करने में गुजरात हमेशा से अग्रणी रहा है। गुजरात फॉरेंसिक साइंस विश्वविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय मानवतावादी फॉरेंसिक केंद्र की स्थापना भी इसी दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है।”

गुजरात में स्थापित विश्व के इस पहले अंतर्राष्ट्रीय मानवतावादी फॉरेंसिक केंद्र का गठन यह दर्शाता है कि भारत तकनीक और प्रतिभा कौशल की अपनी संपदा की मदद से ना केवल देश के नागरिकों बल्कि पूरी दुनिया के देशों और लोगों की सेवा तथा सहायता करने के लिए प्रतिबद्ध और कृतसंकल्प है।

जेरेमी इंग्लैंड, इंटरनेशनल कमेटी ऑफ द रेड क्रॉस, नई दिल्ली के क्षेत्रीय मंडल के प्रमुख, सभा को संबोधित करते हुए | ©आईसीआरसी, आशीष भाटिया

 

“यह संयुक्त परियोजना या उपक्रम भविष्य में किए जाने वाले मानवतावादी कार्यों और गतिविधियों का प्रतिनिधित्व करती है और उसकी एक झलक भर है। यह केंद्र आपातकाल और प्राकृतिक आपदाओं के दौरान मानवतावादी प्रयासों जैसे कार्यों में सहायता प्रदान करेगा। यह ना केवल मृतकों के प्रबंधन बल्कि उनकी पहचान में भी सहायक भूमिका निभाएगा। इसमें स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञता के सहयोग से ऐसी योजनाओं, तकनीक और सक्षमता का विकास किया जाएगा जो भविष्य में पैदा हो सकने वाली आपातकालीन स्थितियों (पूर्व तैयारी) से निपटने की क्षमताओं के निर्माण की दिशा में होंगी।” यह जानकारी इंटरनेशनल कमेटी ऑफ द रेड क्रॉस, नई दिल्ली के क्षेत्रीय मंडल के प्रमुख जेरेमी इंग्लैंड ने दी।

गुजरात फॉरेंसिक साइंस विश्वविद्यालय के महानिदेशक डॉक्टर जे एम् व्यास ने कहा कि “आजकल भारत सहित दुनिया भर में नियमित अंतराल पर प्राकृतिक और मानव निर्मित आपातकालीन दुर्घटनाएं होती रहती हैं। लोग बड़ी संख्या में इन विपदाओं के शिकार होते हैं। अब समय आ गया है कि मानवीय फॉरेंसिक सामने आए और इस तरह की घटनाओं के सही प्रबंधन की जिम्मेदारी का दायित्व वहन करे।”

यह केंद्र आपातकालीन परिस्थितियों में मृत्यु का शिकार होने वाले व्यक्तियों के शवों के सही तरीके से प्रबंधन में खास भूमिका निभाएगा। दरअसल इस परियोजना में आपातकालीन स्थितियों में त्वरित प्रतिक्रिया के तौर पर मृतकों के उचित प्रबंधन को एक महत्वपूर्ण गतिविधि की तरह स्थान दिया गया है ताकि आपातकालीन स्थितियों में मौत का शिकार होने वाले व्यक्तियों को उचित तरीके से और सम्मानजनक विदाई प्रदान की जा सके।

शवों की शिनाख्त और पहचान के लिए यह प्रक्रिया उपलब्ध सबूतों को आधार बनाएगी लेकिन इस प्रक्रिया में फॉरेंसिक साइंस के इस्तेमाल के दौरान अंतरराष्ट्रीय मानवतावादी फॉरेंसिक केंद्र उस क्षेत्र की सामाजिक और सांस्कृतिक परंपराओं के पालन को भी ध्यान में रखेगा। उस क्षेत्र की नागरिक आबादी और वहां पर कानून, जाति तथा नैतिकता के आधार पर प्रचलित मान्य परंपराओं के उचित पालन को खास महत्व और सम्मान दिया जाएगा।

इस उद्घाटन समारोह के साथ ही 21 और 22 जून, 2018 को मानवतावादी फॉरेंसिक पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें भारत श्रीलंका, ऑस्ट्रेलिया, स्विट्ज़रलैंड, आयरलैंड और जर्मनी के अंतरराष्ट्रीय फॉरेंसिक साइंस विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया और विभिन्न मुद्दों तथा मानवतावादी फॉरेंसिक के क्षेत्र में अमल में लाई जा सकने वाली सबसे बेहतर परंपराओं और तरीकों पर विचार-विमर्श और चर्चा की।

इस संगोष्ठी में मानवतावादी फॉरेंसिक के क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल आपदा प्रबंधन विशेषज्ञों तथा पेशेवरों ने अपनी विशेषज्ञता की जांनकारी, तरीके और अनुभव साझा किए। इसके अलावा इस संगोष्ठी में चिकित्सा क्षेत्र, विकास और मानवीय कार्यों से जुड़े प्रतिनिधियों समेत सामाजिक प्रतिनिधियों और शिक्षाविदों ने भी हिस्सा लिया।