मैडम सचिव घनश्याम
माननीय अध्यक्ष नत्चीअप्पन
माननीय अतिथीगण

भाईयों और बहनों

ICRC के लिए ये सम्मान की बात है कि उसे इस अंतराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस की मेज़बानी में भाग लेने का मौका मिला है। इंडियन सोसायटी ऑफ़ इंटरनेशनल लॉ के साथ पांरपरिक हथियारों के केन्वेंशन का आयोजन भारत सरकार के मार्गदर्शन और समर्थन से हुआ है। मैं धन्यवाद देना चाहूंगा/चाहूंगी विदेश मंत्रालय के डिसारमामेन्ट एंड इंटरनेशनल सिक्योरिटी अफेयर्स डिवीज़न की सेक्रेटरी घनश्याम जी का, प्रेजिडेंट नत्चीअप्पन और उनके स्टाफ का जिन्होंने ICRC की नई दिल्ली और जिनेवा की टीमों के साथ मिलकर इस इवेंट के लिए दिन रात मेहनत की है।

साथ ही मैं पारम्परिक हथियारों के कन्वेंशन में भारतीय नेतृत्व की भूमिका की भी सरहाना करना चाहूंगा। हाल ही में “घातक स्वायत्त हथियार प्रणालियों” पर हुई CCW  के  सरकारी विशेषज्ञों के समूह की सफल बैठक में उसने बेहतरीन प्रदर्शन किया है।  CCW के सभी पांच प्रोटोकॉल का पालन करते हुए और अपने राष्ट्रीय क्रियान्वयन के उपायों पर सालाना रिपोर्टिंग देकर भारत एक बड़ा उदाहरण बन गया है।

CCW अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून की एक आधारशिला है। ये जेनेवा कन्वेंशन के 1977 के अतिरिक्त प्रोटोकॉल से निकला है, जिसने युद्ध के आयोजन में नए रुझानों के जवाब में IHL विकसित कर उसकी पुष्टि की। खासकर औपनिवेशिक वर्चस्व के खिलाफ मुक्ति की लड़ाई में। इनमें हवाई बमबारी और युद्ध के वो तरीके शामिल हैं जो आम नागरिकों की आकस्मिक मौत और घायल होने का खतरा बढ़ा देते हैं। अतिरिक्त प्रोटोकॉल I  ने युद्ध के सभी तरीकों और तरीकों के लिए आवेदन करने वाले युद्धपोतों के संचालन के मौलिक नियमों को संहिताबद्ध किया, यह मानते हुए कि मानवता की जरुरत उनकी पसंद और उपयोग को सीमित कर देगी। इसमें नागरिकों की रक्षा के लिए अमानवीय हमलों और लड़ाकों के खिलाफ नियम शामिल हैं।

इन दो मूलभूत नियमों के आधार पर, जो IHL के प्रथागत नियम हैं और इसलिए सार्वभौमिक आवेदन के लिए, CCW विशिष्ट हथियारों के इस्तेमाल को सीमित करने या प्रतिबंधित करने के लिए एक ढांचा तैयार करता है। ऐसा करने में, कन्वेंशन स्वीकार करता है कि केवल हथियारों का दुरुपयोग ही सशस्त्र संघर्षों में नुकसान नहीं करता बल्कि कुछ हथियार, उनकी बनावट भी, कुछ या लगभग सभी परिस्थितियों में अस्वीकार्य हानि पहुँचा सकते हैं। इसलिए विशिष्ट सीमाओं या निषेध की आवश्यकता होती है। खासकर, लैंडमाइंस और आग लगानेवाले हथियार, जो विशेष रूप से CCW द्वारा सबसे पहले विनियमित किए गए, जब इसे 1980 में संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन ने अपनाया था।

एडवांस होते  हथियार और युद्ध के प्रकार और संचालन की प्रगति को जवाब देने के लिए एक गतिशील साधन के रूप में डिजाइन किए गए CCW को और मजबूत बनाने के लिए नए प्रोटोकॉल शामिल किए गए। जिनसे लैंडमाइंस और युद्ध के विस्फोटक परिणामों और उन हथियारों को जिनसे पिछले कई दशकों में लाखों लोग मारे गए, अधिकतर जब युद्ध समाप्त हो गए, नियंत्रित किया गया। CCW ने बड़ी तत्परता के साथ क्रूर और घातक जैसे ब्लींडिंग लेज़र को उनके जंग में इस्तेमाल होने से पहले ही प्रतिबंधित कर दिया।

युद्ध पीड़ितों की सुरक्षा के लिए ICRC, CCW और IHL के नियमों को मज़बूत बनाने वाले उसके प्रोटोकॉल की कार्यवृद्धि में नजदीकी से शामिल रही है। एक तटस्थ, स्वतंत्र और निष्पक्ष मानवीय संगठन के रूप में, कुछ हथियारों के साथ ICRC की चिंता बिल्कुल कड़ाई से मानवीय है। हम पारंपरिक हथियारों के युद्ध में इस्तेमाल किये जाने की वैधता पर सवाल नहीं उठाते लेकिन जब कुछ हथियार अवांछनीय हानि पहुंचाते हैं तो सेना को मानवता का पालन करना अनिवार्य हो जाता है। अपने 150 साल के लम्बे इतिहास में, ICRC ने नियमित रूप से युद्ध के कई तरीकों से भारी तादाद में गई लोगों की जान से राज्यों को आगाह कराया है। CCW के सन्दर्भ में, हम लैंडमाइंस और युद्ध विस्फोटक अवशेषों के लिए नए नियमों की मांग करते हैं क्यूंकि मौजूदा नियम लोगों को इनसे होने वाले घातक प्रभाव से बचाने और इसका सम्बोधन करने में असमर्थ हैं।

ये किसी से छुपा नहीं है कि ICRC सक्रीय रूप से प्राणिनाशक माइंस और क्लस्टर हथियारों के प्रतिबंध का समर्थक रहा है, क्यूंकि हमारा मानना है कि नागरिकों को युद्ध के भयानक और चिरस्थाई प्रभाव से बचाने का एक मात्र तरीका पूरी तरह से बैन ही है। ओटावा संधि (जिसने दो दिन पहले ही अपनी 20वीं सालगिरह मनाई है) द्वारा  प्राणिनाशक माइंस प्रतिबंधित किये जा चुके हैं, और ओस्लो कन्वेंशन द्वारा क्लस्टर हथियार। हम एक बार फिर देशों से IHL की इन महत्वपूर्ण संधियों से जुड़ने की मांग करते हैं। और इस बीच उनके नियमों को नीतियों के तौर पर और मानवता के लिए जरूरी मानते हुए पालन करने की अपील करते हैं।

CCW एक महत्वपूर्ण, बुनियादी IHL संधि है, जिससे हर देश को जुड़ना चाहिए। आज दो-तिहाई देश CCW के हाई कोंट्रक्टिंग पार्टी हैं जिनमे कई शक्तिशाली सेनाएं भी शामिल हैं। ये सरहानीय है लेकिन इतना काफी नहीं है। ICRC, CCW और इसके 5 प्रोटोकॉल्स हेतु  वैश्विक निष्ठा के लिए काम करती रहेगी। और हम उन सभी देशों से कहना चाहेंगे जिन्होंने अब तक ऐसा नहीं किया है वो जितना जल्दी हो इन हथियारों का त्याग कर दे। हम अफ़ग़ानिस्तान को इस साल कन्वेंशन और इसके 5 प्रोटोकॉल्स से जुड़ने के लिए बधाई देते हैं। यहाँ मौजूद उन देशों के सभी प्रतिनिधि जो अब तक   CCW की पार्टी नहीं हैं, मैं उम्मीद करता हूँ कि इस कॉन्फ्रेंस के अंत तक आप अपनी सरकारों को कन्वेंशन और इसके 5 प्रोटोकॉल से जुड़ने की सलाह जरूर देंगे।

CCW, मौजूदा सैन्य संघर्षों से पैदा होने वाली चिंताओं और बदलती युद्ध नीति और स्वरूपों को हल करने के लिए एक ढांचा प्रदान करता है। इनमें से कई ऐसे मुद्दे हैं जो CCW के एजेंडे में लंबे समय से रहे हैं। जैसे कि अत्याधुनिक विस्फोटक उपकरणों (IEDs) के अंधाधुंध प्रभावों और एंटी-व्हिकल माइंस से नागरिकों और मानवीय संचालन को खतरा। इन दोनों मुद्दों पर इस कॉंन्फ्रेंस में चर्चा की जाएगी।

युद्ध के बढ़ते शहरीकरण ने आबादी वाले क्षेत्रों में अपने चुने हुए हथियारों के इस्तेमाल पर पार्टियों को सोचने पर मजबूर किया है, खासकर बड़े विस्फोटक हथियार जैसे बड़े बम और मिसाइल, अप्रत्यक्ष अग्नि शस्त्र प्रणाली, साथ ही साथ बड़े IEDs। इस तरह के हथियार भले ही खुले जंग के मैदान में चिंता का विषय न हों पर जब किसी आबादी वाले इलाके में मौजूद सैन्य बंकर पर हमले के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं तो नागरिकों की मौत, तबाही और पीड़ा का बड़ा कारण बनते हैं। यही वजह है कि ICRC मानता है कि व्यापक क्षेत्र पर प्रभाव डालने वाले विस्फोटकों का इस्तेमाल घनी आबादी वाले इलाकों में नहीं करना चाहिए। अब जबकि युद्ध का शहरीकरण सामान्य बनता जा रहा है और शहरों में लगभग 5 करोड़ लोग युद्ध के प्रभावों से पीड़ित हो रहे हैं, ICRC स्वागत करता है कि CCW हाई कॉन्ट्रेकटिंग पार्टियां इस बड़े मानवीय मुद्दे पर ध्यान दे रही हैं।

रोबोटिक्स के क्षेत्र में नई प्रगतियां हो रही हैं और कृत्रिम बुद्धिमता तेजी से प्रगामी हो रही है। जो बताता है कि CCW के स्वचलित हथियार प्रणाली- वो हथियार जो बिना मानवीय हस्तक्षेप के चलते हैं, पर किए जा रहे काम पर ध्यान देना कितना जरूरी है। इस साल सरकारी विशेषज्ञों (GGE) के समूह में विचार विमर्श किया गया है, जिसे अगले साल भारत के राजदूत अमनदीप सिंह गिल जारी रखेंगे। हाई कॉन्ट्रेक्टिंग पार्टियों के बीच सामान्य सहमति बनी है कि हथियार प्रणालियों और उसकी ताकत पर मानवीय नियंत्रण बनाए रखना होगा। ICRC राज्यों से आह्वान करता रहा है कि वो हथियार प्रणालियों पर स्वायत्ता सीमित करें। अगले साल, GGE स्वायत्त हथियारों की विशेषताओं, मानव-मशीन में परस्पर क्रिया और नीति विकल्पों के दायरे पर चर्चा करेगा। सभी राज्यों को इन विचार-विमर्शों में शामिल होने में रुचि है, जो आने वाले समय में युद्ध के भविष्य पर असर डालेगा
इन सभी और दूसरी उभरती चुनौतियों पर उचित प्रतिक्रिया प्रदान करके, CCW ये दिखाएगा कि वह इस उद्देशय के लिए उपयुक्त है। हालांकि, दूसरी IHL संधियों की तरह, CCW की सतत प्रासंगिकता केवल उभरते मुद्दों के लिए अपनाए गए नए कानूनों और नीतियों के जवाब देने के लिए ही नहीं बल्कि सबसे पहले और महत्वपूर्ण मौजूदा कानून का सम्मान है। इसलिए ये आवश्यक है कि CCW की हाई कॉन्ट्रेक्टिंग पार्टियां कन्वेंशन के प्रोटोकॉल के तहत ईमानदारी से अपने दायित्व का पालन करें। खासकर अपने सैन्य शक्तियों को निर्देश देकर सुनिश्ति करे कि प्रोटोकॉल की अपेक्षाओं का युद्ध के दौरान सम्मान किया जाएगा। और इसी के साथ मैं अंत में बस इतना ही कहना चाहूंगा कि जब युद्धविद ने IHL के मूल नियमों का पालन नहीं किया, जब युद्ध बिना किसी सीमा के लड़े गए, जैसा कि हम आज देख रहे हैं, मध्य पूर्व, अफ्रीका और एशिया के कुछ हिस्सों में जहां हिंसा और क्रूरता का कोई अंत नहीं है, जब दीर्घ विवाद सीमाओं के पार फैल जाता है, उसका परिणाम केवल भयंकर मानव पीड़ा ही है। IHL की अवज्ञा की भारी कीमत चुकानी पड़ती है, सबसे ज्यादा नागरिकों को ही नहीं बल्कि क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को भी।

भाईयों और बहनों

अब हम CCW के कार्यान्वयन और कन्वेंशन के उभरते मुद्दों की प्रासंगिकता पर चर्चा के लिए आगे बढ़ रहे हैं जैसा कि वादा किया जा रहा है कि ये दो दिन बेहद आकर्षक होंगे। पारंपरिक हथियार आपके देश को किस तरह प्रभावित कर रहे हैं इस संदर्भ में मैं खासकर आपके राष्ट्रीय दृष्टिकोण को जानने के लिए उत्सुक हूं। और आप किस तरह से CCW की अपेक्षाओं का पालन कर रहे हैं। साथ ही इसके लिए आपको किन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। अपने अनुभवों को एक-दूसरे देशों के साथ सांझा करके ही कन्वेंशन को असरदार तरीके से लागू किया जा सकता है और ICRC इन प्रयासों में आपकी मदद करने के लिए तैयार है।

मैं ध्यान देने के लिए आप सभी का शुक्रिया अदा करता हूं और सफल कॉन्फ्रेंस की कामना करता हूं।