आई सी आर सी के एशिया-पेसिफ़िक के क्षेत्रीय निदेशक बोरिस मिचेल पिछले दिनों नयी दिल्ली के तीन दिन के दौरे पर थे। इस दौरान उन्होंने रायसीना डायलाग में हिस्सा लेने के साथ साथ कई पत्रकारों से भी बातचीत की। इस भारत दौरे के दौरान उन्होंने कई उच्चस्तरीय आधिकारिक बैठकों वा सभाओं में भी भाग लिया।

भारतीय विदेश मंत्रालय और आब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन द्वारा आयोजित रायसीना डायलाग के दौरान मिचेल ने अपने भाषणों (संवाद/बातचीत) में विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की। मिचेल ने अपने वक्तव्य में देशों की सरकारों और वहाँ के अन्य गुटों के बीच होने वाली सशस्त्र संघर्ष और हिंसा की स्थितियों के दौरान देशों की स्थितियों की एक विस्तृत श्रृंखला पर ध्यानाकर्षण करवाया एवं उन स्थितियों पर चिंता जाहिर की । मिचेल ने कहा हमने दुनिया भर में ये देखा है की जिन भी देशो में इस तरह की परिस्थितियां निर्मित हुई है, वहाँ अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून का सम्मान व मानवीयता के कार्य में पूर्ण स्वतंत्रता वा निष्पक्षता ही दोनों गुटो की प्राथमिकी हित के रूप में सामने आई है।

फोरेन कोर्रेस्पोंडेट्स क्लब ऑफ़ साउथ एशिया के पत्रकारों से बातचीत में बोरिस मिचेल ने इस बात पर गहरी चिंता व्यक्त की कि दुनिया भर में मानवीयता को लेकर रवैये में काफी बदलाव आ रहा है, और मानवतावादी संगठनों व मीडिया का अब इन मुद्दों पर मिल कर काम करना समय की सबसे बड़ी जरुरत है। यह इसलिए बहुत महत्वपूर्ण है कि ऐसी घटनाओं के दौरान दोनों इन स्थितियों को सबसे करीब से महसूस करते हैं।

मिचेल ने मानवतावादी कूटनीति को और सक्रिय रूप से अपनाए जाने की बढ़ती जरुरत का हवाला देते हुए कहा कि मानव सभ्यता के सामने आ रहे इन संकटों पर आई सी आर सी दुनिया की सभी महाशाक्तिओं से संवाद कर रही है. इस प्रक्रिया के दौरान आई सी आर सी भी लगातार बदलाव के दौर से गुजर रही है।

फॉरेन कोरेस्पोंडेट्स क्लब में बोरिस मिचेल की  पत्रकारों से बातचीत के दौरान खींची गयी कुछ तसवीरें। (©आई सी आर सी, आशीष भाटिया)

बोरिस मिचेल ने इस बात पर विशेष जोर दिया कि तनाव के इस बदलते माहौल पर काबू पाने के लिए नए विचारों और नए सुझावों ही नहीं, नए समाधानों की तलाश भी लगातार ज़ारी रहनी चाहिए। तभी इन दिक्कतों का कारगर तरीके से समाधान का प्रयास सही दिशा में बद सकेगा। उनके सभी विचारों में से कुछ इकनोमिक टाइम्स की इस रिपोर्ट में पढ़े जा सकते हैं।

अपनी भारत  यात्रा के दौरान मिचेल ने द वायर.इन को एक इंटरव्यू भी दिया। इसमें उन्होंने सीरिया के वर्तमान हालात, एशिया-पेसिफ़िक क्षेत्र में मौजूद चुनौतियों और सोशल मीडिया की भूमिका पर अपने विचार पेश किये। इन मानवतावादी क़दमों को उठाने में सोशल मीडिया के असर और योगदान पर उन्होंने अपना नजरिया सामने रखा।