द रेड क्रॉस रेड क्रेसेंट अभियान मानवता के सामने आ रही नई-नई चुनौतियों का सामना करने के लिए मौलिक, अभूतपूर्व और नए-नए तरीके आज़मा रहा है।

यह दुनिया भर के सभी देशों में काम कर रहे हमारे उन लाखों-करोड़ों समर्पित कार्यकर्ताओं और कर्मचारियों की वजह से संभव होता  है, जो मुसीबतों और संकटों से जूझ रहे लोगों के चेहरों पर मुस्कुराहट वापस लाने के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने से भी नहीं हिचकते। विश्व रेडक्रॉस दिवस ऐसा ही एक मौका है जब हम उन सभी कर्मचारियों और व्यक्तियों का शुक्रिया अदा करते और सम्मान करते हैं, जिन्होंने इन मानवतावादी गतिविधियों में अपना योगदान दिया। साथ ही उन लोगो को भी याद करते हैं, जिन्होंने इसके लिए भारी कीमत चुकाई। ऐसे सभी कर्मचारियों और लोगों के कार्यों  का हम तहेदिल से धन्यवाद अदा करते हैं।

8 मई को नई दिल्ली में रेड क्रॉस के संस्थापक हेनरी दुनान्त की जन्म शताब्दी के अवसर पर आयोजित हुए एक समारोह में कई प्रमुख वक्ताओं ने अपने विचार रखे।  इसका आयोजन आईसीआरसी के क्षेत्रीय डेलीगेशन  ने अपने सभी प्रमुख भागीदारों, द इंडियन  रेड क्रॉस सोसाइटी (आईआरसीएस) और इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ़ रेड क्रॉस (आईएफआरसी)  के साथ मिल कर  किया था।

इन वक्ताओं में डॉ आर के वत्स, कार्यकारी महासचिव, आईआरसीएस और डॉ वीर भूषण, कार्यकारी संयुक्त सचिव, आईआरसीएस के अलावा इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ़ द रेड क्रॉस एंड रेड क्रेसेंट सोसायटीज़ के संगठनात्मक विकास संचालक भावेश सौदागर और आईसीआरसी के नई दिल्ली के क्षेत्रीय डेलीगेशन प्रमुख जेरेमी इंग्लैंड भी शामिल थे.  इन सभी वक्ताओं ने इस उपलब्धि का ख़ास तौर से जिक्र किया कि आईआरसीएस पहली ऐसी राष्ट्रीय सोसाइटी है, जिसने अपनी स्ट्रैटेजी 2030 तक के कैलेंडर को अंतिम रूप दे दिया है।

इस अवसर पर बोलते हुए जेरेमी इंग्लैंड ने कहा कि आज हम यहां इसलिए इकट्ठा हुए है कि एक बार फिर से इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी द्वारा तय  किए गए उद्देश्यों के प्रति अपनी  निष्ठा और समर्पण के संकल्प को दोहराएं और सोसाइटी द्वारा तय किए गए उद्देश्यों को पूरा करने का प्रयास करें।  उन्होंने इस बात पर ख़ास जोर दिया कि एक संस्था के नाते यह महत्वपूर्ण है कि हम निष्पक्ष, तटस्थ और संतुलित रहते हुए अपने लक्ष्यों को हासिल करें।

इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी के आने वाले जन्म शताब्दी वर्ष का उल्लेख करते हुए डॉक्टर वीर भूषण ने कहा कि जल्दी ही लगभग सौ वर्ष पूरे करने वाली इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी की भूमिका और गतिविधियों का दायरा काफी विस्तृत हुआ है और इसमें कई बदलाव आए हैं. उन्होंने बताया कि, ‘’हम लोगों और समुदायों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए विभिन्न सहभागियों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं और कई नए क्षेत्रों में प्रवेश कर रहे हैं।”

इस अवसर पर डॉ वत्स ने विश्व में  रेड क्रॉस की महत्ता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि ‘’दुनिया चाहे कितनी  ही तरक्की कर ले परंतु प्राकृतिक आपदाएं और  आपातकालीन स्थितियां निरंतर  सामने आती रहेंगी। ऐसे हालात में जिस संस्था का नाम लोगों के दिमाग में सबसे पहले आता है, वो रेड क्रॉस है।’’

अपने भाषण का समापन उन्होंने इस बात के साथ किया कि ‘’स्वेच्छा से सेवा करने की भावना का कोई विकल्प नहीं है और इस बात के महत्व से सभी वाकिफ हैं.  हमारी सबसे बड़ी चुनौती  ‘’सबके लिए,सभी जगह’’  के अपने ही स्लोगन या नारे पर खरा उतरना है।’’

समारोह आयोजन के कुछ चित्र (©आईसीआरसी)