हांगकांग हाई कोर्ट में हाल ही में एशिया पैसिफिक क्षेत्र  की  सोलहवीं  रेड क्रॉस अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून (आई एच एल)  मूट कोर्ट प्रतियोगिता का सफलतापूर्वक आयोजन संपन्न हुआ । चार दिन तक चले इस कड़े मुकाबले में भारत के  गुजरात राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय ने पहला स्थान हासिल किया। दूसरा स्थान ऑस्ट्रेलिया की न्यू साउथ वेल्स यूनिवर्सिटी ने जीता। न्यूज़ीलैंड का ऑकलैंड विश्वविद्यालय तीसरे स्थान पर रहा जबकि चौथा स्थान सिंगापुर मैनेजमेंट विश्वविद्यालय (सिंगापुर)  को हासिल हुआ।

हांगकांग में  7 से 10  मार्च के बीच आयोजित हुए इस 16वें रेड क्रॉस क्षेत्रीय अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून मूट कोर्ट में  एशिया पैसिफिक क्षेत्र  के विभिन्न देशों में कानूनी पढ़ाई कर रहे 18 देशों  के छात्रों  ने हिस्सा लिया। इस कार्यक्रम का आयोजन  हांगकांग रेड क्रॉस और इंटरनेशनल कमेटी ऑफ़ द रेड क्रॉस (आई सी आर सी)  ने  हांगकांग के चीन विश्वविद्यालय और हांगकांग विश्वविद्यालय के साथ मिलकर किया ।

जनरल राउंड के जजों की एक तस्वीर © आई सी आर सी, योंगताओ ज़िआंग

 

“ इस प्रतियोगिता का आयोजन एशिया पैसिफिक क्षेत्र  में सालाना तौर पर किया जाता है । इसमें इस क्षेत्र के देशों में पहले  राष्ट्रीय स्तर और फिर इन देशों के बीच प्रतिस्पर्धा के चक्र आयोजित किए जाते हैं। प्रतियोगिता के आयोजन का मूल मकसद विधि विश्वविद्यालयों के विद्यार्थियों में अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून के प्रति जागरूकता पैदा करना है। इसके अलावा यह अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून से जुड़े मसलों में शैक्षणिक तौर पर अनुसंधान के क्षेत्र में विद्यार्थियों की रुचि पैदा करने में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।”  यह मानना है पूर्वी एशिया के आई सी आर सी के क्षेत्रीय दल के विधि विभाग के प्रमुख ज़ुउ वेन का।

वेन का मानना है कि “ पिछले 16 सालों के दौरान  एशिया पैसिफिक क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून के प्रचार-प्रसार की दृष्टि से यह प्रतियोगिता अब सबसे महत्वपूर्ण आयोजन बन कर उभरी है। हम उम्मीद करते हैं कि यह प्रतियोगिता कानून की पढ़ाई कर रहे इन छात्रों के हुनर और प्रतिभा का ही आकलन  नहीं करती  बल्कि उन्हें मानवता और मानवीय मूल्यों के क्षेत्र से भी परिचित कराती है। गौरतलब है कि भविष्य के वकील, कानूनी विशेषज्ञ और नीति निर्धारक होने के नाते इन पहलूओं और बारीकियों  की जानकारी होना इन छात्रों के लिए काफी मददगार  साबित होता है।’’

इस साल विद्यार्थियों ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिमिनल कोर्ट की तर्ज़ पर तैयार किए गए काल्पनिक कोर्ट में आरोपी और बचाव पक्ष के वकीलों की हैसियत से काल्पनिक केस लड़े। जिन विषयों पर केस लड़े गए, वो पर्यावरण बदलाव के विभिन्न पहलूओं पर आधारित थे। यह थे, नई तकनीक वाले हथियारों का इस्तेमाल, विस्थापित व्यक्तियों को ढो रही मछुआरी नौकाओं पर हमले और समुद्री यातायात के दौरान मेडिकल सामग्री की सुरक्षा।