4 अक्टूबर, 2017 को नई दिल्ली में आई सी आर सी और इंस्टीट्यूट फ़ॉर डिफेंस स्टडीज़ ऐंड एनालेसिस (आई डी इस ए ) ने साथ मिलकर एक पैनल डिस्कशन का आयोजन किया। इस चर्चा का मुख्य उद्देश्य युद्ध में नई प्रौद्योगिकियों और अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून को समझना था।

पैनल ने ‘नई प्रौद्योगिकी युद्ध और अंतर्राष्ट्रीय मानवतावादी कानून’ (आई एच एल) को संबोधित किया और आई एच एल नियमों के आवेदन पर नई प्रौद्योगिकियों, उसके उल्लंघनों के जवाबदेही, साथ ही उनके मानवतावादी और नैतिक प्रभावों के बारे में चर्चा की।

ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) रुमेल दहिया, पूर्व उप महानिदेशक, आई डी एस ए ने शुरुआती संबोधन में इस बात पर बल दिया कि आई एच एल की भूमिका और आवेदन को विस्तारित करने की जरूरत है क्योंकि आधुनिक स्वायत्त हथियार प्रणालियों को अब सामने आना चाहिए। कर्नल (सेवानिवृत्त) विवेक चड्डा, आई डी एस ए के शोधक, सत्र की अध्यक्षता करते हुए और माहौल को माकूल बनाते हुए कहा, “समस्या हथियार प्रणालियों के विकास को नियंत्रित करने में नहीं है, लेकिन उन देशों को हथियारों को जिम्मेदार तरीके से इस्तेमाल करने की विफलता में है । ”

चर्चा के उपरांत, कई प्रस्तुतियां (प्रेसेंटेशन) भी हुई जो इस प्रकार है- “नई चुनौतियां – आई एच एल के अनुकूल”, “ ड्रोन्स- हथियार प्रणाली के तौर पर” एवं “आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और आई एच एल के निहितार्थ समस्याएँ” जिनको प्रस्तुत किया नील डेविसन, वैज्ञानिक सलाहकार, आई सी आर सी, ग्रुप कैप्टन (सेवानिवृत्त) अजेय लेले, वरिष्ठ शोधकर्ता, आई डी इस ए और डॉ. बाला चंद्रन, कंसल्टिंग फेलो, आई डी इस ए।  बातचीत ने सामूहिक विनाश के लिए नागरिक प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल के बारे में चिंताओं को भी प्रतिबिंबित किया।