नई दिल्ली में अंतर्राष्ट्रीय कानून की भारतीय सोसाइटी (आईएसआईएल) और रेड क्रॉस की अंतर्राष्ट्रीय समिति ( क्षेत्रीय प्रतिनिधिमंडल) 5 से 6 दिसंबर 2017 को कुछ परंपरागत हथियारों (सीसीडब्ल्यू) पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन की सह-मेजबानी करेगा।

यह सम्मेलन आईसीआरसी का हिस्सा होने के साथ-साथ आईएसआईएल के अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून (आईएचएल) के विश्वाशयोग्य एजेंडा के तहत, सीसीडब्लू के अधीन नियंत्रित शास्त्रों को विनियमित करने पर चर्चा करने के लिए एशिया, खाड़ी और पूर्वी अफ्रीकी क्षेत्रों के साथ-साथ 22 देशों के अंतर्राष्ट्रीय और क्षेत्रीय संगठन के विशेषज्ञ आएंगे।

सम्मेलन में भाग लेने वाले आईसीआरसी के उपाध्यक्ष क्रिस्टिन बीरली के अनुसार: “ भारत एक सामाजिक प्रवर्तक है और वैश्विक मानदंडों को निर्धारित करने में मदद करने में यह एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारत भी मानवतावादी चुनौतियों का सामना कर रहा है और संयुक्त राष्ट्र के शांति ऑपरेशनों में लगातार योगदान देने वाले सबसे बड़े सैनिकों के समूह में से एक है। यह सम्मेलन आईसीआरसी की भारत के साथ दीर्घकालिक प्रतिबद्धता और भारत मे जारी कार्यों का पुनर्मूल्यांकन है।”

आईएसआईएल के अध्यक्ष डॉ. ईएमएस नचियप्पन के शब्दों में, “ आईएसआईएल में हम इस महत्त्वाकांक्षी विचार-विमर्श के परिणाम का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं जिसमे सीसीडब्लयू के कार्यान्यवन को मजबूत करने के लिए वरिष्ठ सरकारी अधिकारी भाग ले रहे हैं। आईएसआईएल अंतर्राष्ट्रीय कानून के विकास एवं विश्व शांति और विकास के लिए विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय निकायों के साथ साझेदारी की स्थापना करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।”

सशत्र संघर्ष में इस्तेमाल होने वाले हथियारों के प्रभाव को सीमित करने में तथा संघर्ष के बाद बचे हुए या छोड़े हुए तोपों/हथियारों से निलटने के लिए एक ढांचा स्थापित करने में सीसीडब्लयू ने आईएचएल में एक केंद्रीय भूमिका निभाई है। सम्मेलन का लक्ष्य इस महत्त्वपूर्ण संधि के स्कोप और कंटेंट को समझकर इसे सीसीडब्लयू के साथ और बेहतर तरीके से जोड़ना एवं इसके क्रियान्वयन में वृद्धि करके भविष्य में सीसीडब्लयू बैठकों में राज्यों की वचनबद्धता को बढ़ाना है।

भारत मे आईसीआरसी के बारे में

रेड क्रॉस की अन्तर्राष्ट्रीय समिति (आईसीआरसी) एल स्वतंत्र और गैर-राजनीतिक संगठन है जो कि अधिकांश देशों में अपनी उपस्थिति सके माध्यम से कई बड़ी गतिविधियों को क्रियान्वित करता है। इसके आस्तित्व और गतिविधियों को सार्वभौमिक रूप से मान्यता प्राप्त है और ये नियमित रूप से मानवतावादी मामलों, विशेष रूप से सशस्त्र संघर्ष और हिंसा की परिस्थितियों में प्रभावित लोगों की ज़रूरतों पर प्रतिक्रिया देते हैं।

आईएसआईएल : अंतराष्ट्रीय कानून की भारतीय सोसाइटी (आईएसआईएल) की स्थापना 1959 में, “ अंतर्राष्ट्रीय कानून के अध्ययन और विकास को बढ़ावा देने तथा अन्य राज्यों में अंतर्राष्ट्रीय कानून के आवेदन के तुलनात्मक अध्ययन को प्रोत्साहित करने” के उद्देश्य से किया गया था। आईएसआईएल अपनी स्थापना के बाद से ही अंतर्राष्ट्रीय कानून की भारतीय पत्रिका को प्रकाशित कर रहा है , जिसने उच्च मानक प्राप्त किया है और जिसे दुनियाभर ।के उच्च सम्मान हासिल है। आईएसआईएल में एक अच्छी लाइब्रेरी भी है, जिसका उपयोग पूरे भारत के विद्वानों/छात्रों द्वारा किया जाता है । समकालीन हितों पर आईएसआईएल, वार्षिक सम्मेलन और सेमिनार करता है तथा सरकारी अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित करता है। यह अंतर्राष्ट्रीय कानून के मुद्दों पर स्वतंत्र शोध करता है और इसे बढ़ावा देता है

आईएसआईएल की शिक्षण शाखा – अंतर्राष्ट्रीय कानून और कूटनीतिक भारतीय अकादमी ( द इंडियन अकैडमी ऑफ़ इंटरनेशनल लॉ एंड डिप्लोमेसी), अंतर्राष्ट्रीय कानून की विभिन्न शाखाओं में स्नातकोत्तर डिप्लोमा पाठ्यक्रम चलाती है।

अधिक जानकारी के लिए  कृपया आईसीआरसी, संचार प्रमुख, दीप्ति सोनी से dsoni@icrc.org या मोबाइल: +91-9810312913 पर और आईएसआईएल के निदेशक, विनानी कुमार सिंह से info.isil@gmail.com या मोबाइल: +91-9810580179 पर सम्पर्क करें।