एनेबल मैकाथन अब अपने आखिरी और निर्णायक रोमांचक मुकाम पर पहुँच चुका है. इसके फाइनल में सहनिर्माण दौर में हिस्सा लेने के लिए दुनिया भर से 16 टीमें चुनी गई हैं. इनमें से 11 टीमें बेंगलुरु और पांच टीमें लंदन में इकठ्ठा हुई हैं. 5 दिसंबर से शुरू हो रहे इस दो हफ्ते के राउंड में सभी खोजकर्ता विकलांग व्यक्तियों की जीवन शैली सुधारने के लिए अपने उपकरणों को अंतिम रूप देंगे.

इन उपकरणों की खोज और विकास का उद्देश्य नए विकल्प और समाधान उपलब्ध कराना है. यह समाधान विकलांग व्यक्तियों की जीवन शैली सुधारने वाले उपकरण, प्रक्रियाओं और सेवाओं के रूप में हो सकते हैं. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह टीमें इन उपकरणों का निर्माण उन लोगों के साथ मिल कर करेगी, जो इनका खुद इस्तेमाल करेंगे. देखने, सुनने या चलने-फिरने में लाचार विकलांग व्यक्ति.

इससे पहले एनेबल मैकाथन जूरी ने अक्टूबर और नवंबर के दौरान लंबे और गहन विचार-विमर्श से भरपूर इंटरव्यू सत्रों के आधार पर  फाइनलिस्ट टीमों का चयन किया. सहनिर्माण दौर में आखिरी 16 में जगह बनाने वाली टीमों के नाम हैं: ग्लासचेयर, गेमऐबल, एम्पारो प्रोसथेटिक्स, नॉनस्पैक, टॉर्चइट, मित्रां, वी हैव, ऑटोबॉट्स , छाबला, ब्लीटेक, वर्कबेंच प्रोजेक्ट्स, एनेबल इंडिया, यूनिकॉम सॉल्युशंस, ट्राईडॉट्स, फॉर ग्रोथ और प्रोजेक्ट डिफाई.

सोलह में से तीन टीमों को ऑनलाइन वोटिंग में लोकप्रियता के आधार पर फाइनल दौर में प्रवेश मिला. यह हैं एनेबल इंडिया, मित्रां और यूनिकॉम सॉल्युशंस . फाइनल 16 टीमों के चयन में टीमों द्वारा पेश की गई खोज यानी नए उपकरण की उनकी परिकल्पना की भूमिका महत्वपूर्ण रही लेकिन साथ-साथ इस बात का भी ख़ास ख्याल रखा गया कि सहभागिता और नई खोज के उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए दोनों आयोजन स्थलों (बेंगलुरु और लंदन ) में क्या-क्या सुविधाएं, सेवाएं और संसाधन मुहैय्या कराए जा सकते हैं.

यह सहनिर्माण अभियान ना सिर्फ अपनी तरह की विशेषता रखने वाले नए उपकरणों या उत्पादों की खोज के साझा निर्माण का कदम  है बल्कि दुनिया भर में विकलांगता की गंभीर और चरम परिस्थितियों का सामना कर रहे करोड़ों लोगों के लिए कारगर और व्यावहारिक समाधान की दिशा में एक गंभीर प्रयास है. सभी देशों द्वारा सामूहिक रूप से की जा रही ऐसी कोशिश, जिसमें इंटरनेशनल कमेटी ऑफ़ रेड क्रॉस एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है.

यह एनेबल मैकाथन विशेषज्ञों की देखरेख में अलग-अलग देशों की स्थितियों और ज़रूरतों के हिसाब से किया जा रहा एक संयुक्त अभियान है. एनेबल मैकाथन का उद्देश्य है कि अपने इस मंच या अभियान के ज़रिए वो दुनिया भर के उन लोगों की मदद कर सके, जो सबसे ज्यादा प्रभावित भी हैं और ज़रूरतमंद भी.

जेरेमी इंग्लैंड, क्षेत्रीय दल प्रमुख,आई सी आर सी,दिल्ली : “लोग अपनी समस्या भी समझते हैं और उसे दूर करने का तरीका भी जानते हैं. सिर्फ उनकी बात गंभीरता से सुनने और समझने वाला चाहिए. एक अच्छा खोजकर्ता वो है जो समस्याओं का सामना कर रहे लोगों की बात को अच्छी तरह सुन और समझ कर काम करे. इन चुनौतियों से जूझ रहे लोग ही उसका उचित समाधान बता पाने वाली महत्वपूर्ण कड़ी हैं.”

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