रेड क्रॉस की अंतर्राष्ट्रीय समिति के अध्यक्ष पीटर माउरर का स्टेटमेंट:

यमन के लोगों के लिए भारी चिंता के साथ मैं यमन छोड़कर जा रहा हूँ. यहाँ हैजा भयंकर रूप से फैला हुआ है. और चूंकि बरसात आने वाली है, साल के अंत तक ये संख्या 600,000 तक पहुँचने की संभावना है. ये अभूतपूर्व है.

ये प्रकोप इंसानों का बनाया हुआ है. दो साल से ज्यादा से चल रहा गृहयुद्ध इसके लिए सीधे ज़िम्मेदार है.स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गयी है और आसानी से ईलाज किये जाने वाली साधारण बिमारियों से भी लोग मर रहे हैं. ज़रूरी सेवाएँ, जैसे कि सफाई का काम तक ठप्प है, जैसा कि मैंने खुद ताईज़ में देखा है.

अगर लड़ने वाले गुट युद्ध के नियमों के प्रति सम्मान नहीं दिखाते हैं, मुझे डर है कि हमें भविष्य में और भी महामारियों के लिए तैयार रहना होगा.

यमन के लोग काफी सहिष्णु हैं, लेकिन वे और कितना बर्दाश्त कर सकते हैं? हमने सीरिया और अन्य देशों में देखा है कि कैसे टकराव का वक़्त दो सालों से बढ़कर छः और छः से दस साल होता है. यमन का भविष्य बदल सकता है लेकिन फिलहाल मुझे कोई उम्मीद नहीं दिखती. वहां के लोगों की तकलीफें बढती जाती हैं. मैंने परिवारों को खाना और पानी या बच्चों के लिए दवाई में से एक खरीदने जैसे मुश्किल फैसले लेने पर मजबूर होते हुए देखा है.

लड़ने वाले पक्षों ने हज़ारों लोगों को बंदी बनाकर रखा है, जो कि जेलों में पड़े हैं और अपने प्रियजनों से संपर्क करने में अक्षम हैं. कल ऐसे ही कुछ लोगों के परिवारों ने साना में हमारे दफ्तर के सामने जवाब मांगते हुए विरोध प्रदर्शन किया. उनकी खुशहाली हमारी प्राथमिकता है, लेकिन उनकी मदद करने के लिए हमें कैदियों से मिलने की छूट होनी चाहिए.

इस हफ्ते मैंने खुद देखा कि कैसे ये युद्ध शहरों, समुदायों और परिवारों को बरबाद कर रहा है.

इसलिए व्यवहार को बदलने के लिए यह अत्यावश्यक अपील की जा रही है. ये बहुत ज़रूरी है के दोनों पक्ष अस्पतालों, बिजली और पानी के कारखानों पर हमले करना बंद कर दें. वरना और भी त्रासदियाँ होंगी.

लड़ने वाले पक्षों, जिनमें गठबंधन की सरकार शामिल है, को अभी कदम उठाने चाहिये ताकि परिस्थिति बदले.

उन्हें ये करना चाहिए:

  1. मानवीय कार्यों को राजनितिक कारणों से न रोका जाए. बल्कि मदद कार्यों और दवा जैसी ज़रूरी सामग्रियों को यमन में हर जगह पहुँचने दिया जाए.
  2. मानवीय कार्य में लगी संस्थाओं की पहुँच कोसबसे ज़्यादा पीड़ित लोगों तक सुनिश्चित किया जाए.
  3. आईसीआरसी को सभी युद्ध बंदियों तक नियमित रूप से पहुँचने दिया जाए. इस हफ्ते हमें दोनों पक्षों से उत्साहजनक वायदे मिले हैं. उम्मीद है कि आने वाले हफ़्तों में ये काम सफलतापूर्वक हो सके.
  4. आयात पर ढील दी जाए ताकि आर्थिक कामकाज शुरू हो सके.

इसके अलावा, लड़ने वाले पक्षों को समर्थन देने वालों को ये सुनिश्चित करना चाहिए कि युद्ध के नियमों का सम्मान किया जाए.

मानवीय कार्यों के लिए आर्थिक मदद अब और भी ज़रूरी है. लेकिन अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को एक कदम आगे बढ़ने की ज़रूरत है. उन्हें इस समस्या का समाधान ढूँढने में सक्रिय रूप से भागीदारी करनी चाहिए और लड़ने वाले पक्षों के व्यवहार को बदलने के लिए तुरंत दबाव बनाने चाहिए.

आईसीआरसी ने इस साल अपना यमन का बजट दुगना करके 10 करोड़ यूएस डॉलर कर दिया है. हम हैजा से लड़ते रहेंगे और यमन के सबसे ज़्यादा परेशान लोगों की मदद के लिए जो भी बन पड़ेगा करते रहेंगे. मैं औरों से अपील करता हूँ कि अपने प्रयासों को और बढ़ाएं. मैं इस बार यमन में जिन लोगों से मिला, वे हमसे उम्मीद कर रहे हैं कि हम उनकी मदद करेंगे. आइये हम साबित कर दें कि हमें उनकी तकलीफों की परवाह है.

यमन के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

यमन की जनसंख्या 2.7 करोड़ है, जिसमें लगभग –

  • 4 करोड़ लोगों कीखाद्य सुरक्षा खतरे में है. 70 लाख लोगो की खाद्य सुरक्षा बहुत ज्यादा खतरे में है.
  • 33 लाख लोग भयानक कुपोषण का शिकार हैं.
  • 4 करोड़ लोग पर्याप्त मात्रा में साफ़ पानी और सफाई व्यवस्था से वंचित हैं.
  • 4 करोड़ लोग स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित हैं और सिर्फ 45% स्वास्थ्य सुविधाएँ ही काम कर रही हैं.
  • 2015 से 160 से ज़्यादा स्वास्थ्य केन्द्रों पर हमले किये गये हैं जिनकी खबर आईसीआरसी तक पहुंची है.
  • दवाओं की कीमतें आम लोगों की पहुँच से बाहर है.