जम्मू में बेसिक लाइफ सपोर्ट (बी एल एस) अनुदेशक प्रशिक्षण में अपने अनुभव का संक्षेप साझा करते हुए शहरियार शफी कहते हैं, “प्राथमिक चिकित्सा, जीवन और मौत के बीच का अंतर हो सकती है।” भारतीय रेड क्रॉस सोसायटी (आई आर सी एस) के साथ जुड़े विधि शाखा के छात्र शफी उन इक्कीस प्रतिभागियों में से है जिन्होंने जम्मू-कश्मीर में आयोजित पांच दिवसीय बी एल एस अनुदेशक प्रशिक्षण कार्यशाला में भाग लिया है। इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य जम्मू-कश्मीर में बी एल एस अनुदेशकों का एक गुट तैयार करना है।

इस कार्यशाला का आयोजन स्वास्थ एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्रालय, जम्मू-कश्मीर एवं आई सी आर सी द्वारा सम्मिलित रूप से किया गया था। कार्यशाला का आयोजन मुख्यतः डॉक्टरों, पैरामेडिकल स्टाफ एवं आ सी आर सी और डॉक्टर्स फॉर यू नामक एन जी ओ के प्रतिनिधियों के लिए किया गया था। आई सी आर सी के विशेषज्ञ प्रशिक्षक, फेलिसिटी गेप्स ने 2015 में बी एल एस प्रशिक्षण कार्यक्रम में हिस्सा ले चुके दो पूर्व प्रतिभागियों के साथ इस कार्यशाला का आयोजन किया।

बी एल एस घायल अथवा बीमार को उचित प्राथमिक मदद प्रदान करता है जिसके बाद उनको उनकी स्थितिनुसार यथोचित चिकित्सिक देखभाल के लिए स्थानांतरित किया जा सके।

“आई सी आर सी में हम बातों को सरलता से बताते है”, फेलिसिटी ने आश्वस्त किया, और कहा, “हम चाहते है कि लोग इस बात को समझें कि जो वे कर रहे है, वो क्यों कर रहे हैं ताकि वे स्थानीय स्तर पर उपलब्ध सामग्री के साथ सुरक्षित रूप से किसी भी संदर्भ में यह करने के लिए सही तरीकों का अनुकूलन कर सकें।”

कार्यशाला के पहले दिन, अपने उदघाटन भाषण में डॉ. बलजीत पठानिया, निदेशक, स्वास्थ्य सेवाएं, जम्मू, ने कहा, “यह प्रशिक्षण हमें पूर्व-चिकित्सा के आपातकालीन प्रबंधन में सुधार करने में कारगर साबित होगा और इस कार्यशाला के सभी प्रतिभागी अपने साथी सहयोगियों के साथ इस विषय के प्रशिक्षण पाठ्यक्रम को साझा करेंगे।”

कार्यशाला के पहले दिन गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य महोदय डॉ. ज़ाहिद जीलानी एवं आई सी आर सी के स्वास्थ्य समन्वयक, मारी-जोसी भी उपस्थित थे। सन 2011 – जब से इस पहल की शुरुआत हुई — आई सी आर सी और जम्मू-कश्मीर सरकार के स्वास्थ्य एवं चिकित्सिक शिक्षा के विभिन्न अंग एक साथ मिलकर चिकितिसा पूर्व एवं पश्चात के आपातकालीन देखभाल की स्थिति को दृढ़ करने में जुटी हुई है।